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About The Book
Description
Author
यह पुस्तक वीर शिरोमणि सावरकर जी की स्वातंत्रय समर पुस्तक में उल्लेखित ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है ! इसकी अंतर्कथा को लोक भाषा में छंदोबद्ध करके सुबोध भाव अलंकारों के साथ सरल संगीतमय और गाने योग्य बना कर लिखा गया है ! बीच बीच में वीर रस पूर्ण और देश भक्ति से ओतप्रोत सारगर्भित प्रेरणादायक गाने योग्य कविताओं का भी संकलन किया है और संदर्भित कथा तथ्यों के सोपानों पर वीर सावरकर के मन्त्रमई ओजस्वी शब्दों का प्रयोग करके प्रभावशाली वातावरण पाठकों हेतु बनाने का प्रयत्न किया है ! लेखक यह पुस्तक उन बलिदानी हुतात्माओं को जिन्होनें 1857 के मुक्ति संग्राम में अंग्रेजों से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी आजादी के 75 वे अमृतकाल में श्रद्धांजलि रूप में अर्पित करते हैं ! स्वतंत्रता संग्राम आरम्भ हो एक बार पिता से पुत्र को पहुंचे बार बार !! भले हो पराजय यदा कदा पर अंततः मिले विजय हर बार ! यह संगीतमय वीर गान लोक स्मृति में और लोक चेतना की जिव्ह्या पर अमिट हो कर पीढ़ी दर पीढ़ी भविष्य में भावी संतानों को वीरता की व्याख्या देता रहे ऐसी मेरी कामना है ! इस परिश्रम में कितना सफल हुआ ये सुधि पाठक निर्णय देंगे ! आपका - पूरण सिंह तंवर भारत का पूर्व सैनिक - जाट रेजिमेंट