1984: Dilli Mein Sikhon Par Huye Hamlon Ki Real Story (Hindi Translation of 1984: The Anti-Sikh Riots and After)


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About The Book

संजय सूरी नई दिल्ली में द इंडियन एक्सप्रेस अखबार के एक युवा क्राइम रिपोर्टर थे जब 31 अक्तूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी। वह उन चुनिंदा पत्रकारों में शामिल थे जिन्होंने उसके बाद हुई उस भयंकर और बेकाबू सिख-विरोधी हिंसा को देखा था जबकि पुलिस ने आँखें बंद कर ली थीं।उन्होंने देखा था कैसे कांग्रेस के कार्यकर्ता लूट के आरोप में गिरफ्तार एक कांग्रेसी सांसद को रिहा करने की माँग कर रहे थे। रिपोर्टिंग के दौरान वह हत्यारों के गैंग से बाल-बाल बच गए थे। बाद में उन्होंने हलफनामा दायर किया जिसमें कांग्रेस के दो सांसदों से संबंधित उनकी आँखोंदेखी गवाही शामिल थी और एक चुनावी रैली में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से सीधा सवाल किया था। नरसंहार की जाँच के लिए गठित कई जाँच आयोगों के सामने भी सूरी ने गवाही दी हालाँकि उनका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।इस पुस्तक में वह अपने अनुभवों और उस समय अग्रिम मोर्चे पर हिंसा का सामना करनेवाले पुलिस अधिकारियों के व्यापक साक्षात्कारों से हुए ताजा खुलासों का खजाना लेकर आए हैं। सिख विरोधी हिंसा और क्रूरता के पीछे कांग्रेस का हाथ होने के सवाल की यह गहरी छानबीन करती है कि क्यों तीस साल बाद भी जीवित बचे लोगों को न्याय की प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। यह पुस्तक झकझोर देनेवाली घटनाओं का वर्णन विशिष्ट रिपोर्ताज और मर्मस्पर्शी कहानियों को जोड़कर करती है जो आज भी हमें उतनी ही पीड़ा और वेदना का अनुभव कराती हैं।
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