सूर्यबाला की जीवन-दृष्टि सतह पर बहते जीवन-प्रवाह की गहराई में प्रवेश करती है। वे एक मर्म स्पर्शी लेखिका हैं समकालीन कथा साहित्य में सूर्यबाला का लेखन अपनी विशिष्ट भूमिका और महत्त्व रखता है। समाज जीवन परंपरा आधुनिकता एवं उससे जुड़ी समस्याओं को सूर्यबाला एक खुली मुक्त और नितांत अपनी दृष्टि से देखने की कोशिश करती हैं। उसमें न अंध श्रद्धा है न एकांगी विद्रोह है ।<br>'तोहफा' 'क्या मालूम' जैसी तमाम कहानियां अपने समय की पहचान करती हैं अपनी कहानियों के माध्यम से सूर्यबाला स्वार्थ अवसरवाद प्रदर्शनप्रियता और शहरातीपन से उपजे विघटन एवं संवेदनहीनता की टोह लेती हैं। लेखिका ने ऐसे आशयों को गहरे व्यंग्य में सँभाला है। सूर्यबाला अपनी कहानियों में बड़ी सावधानी से मार्मिकता को पूरे असर में उभारने वाली भाषा निर्मित करती हैं।
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