'इक्कीस श्रेष्ठ कहानियां' मेरा कमोवेश अपना ही चयन है । जिस प्रकार स्नेहसिक्त माता-पिता अपनी कुछ संतानों को अधिक प्रिय तथा कुछ को अधिक अप्रिय के रूप में विभाजन करने की सहज स्थिति में नहीं हो सकते संभवतः वही बात रचनाकार की रचना - चयन पर भी लागू होती है कि वह किस रचना को श्रेष्ठ श्रेष्ठतर अथवा श्रेष्ठतम कहे व किस रचना को अवरोह के क्रम में कमतर क्योंकि हर रचना का क्रम संघर्ष नियति संवेदना आदि की प्रक्रिया की पद्धति संभवतः एक ही जैसी होती है।<br>फिर भी पाठकों की सुविधा के लिए अपनी चयनित 21 श्रेष्ठ कहानियां संकलित कर पिरो दी हैं जिनमें पर्वतीय जीवन के लोक रंगों के साथ लोक उत्सव व लोक जीवन के स्मृतिबिम्बों का यथा तथ्य पकड़ने का प्रयास किया गया है। उसमें रचनाकार कितना सफल हुआ है यह भाव प्रवण सुधी पाठक ही तय कर पाएंगे।
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