About The Book

अनकहे प्रश्न..अनसुने उत्तर' यह संग्रह मेरे अंतर्मन की आवाज़ है - संवेदनशील मनुष्य की जो प्रश्न करता है सोचता है और आपको सोचने पर मजबूर करता है। यहाँ संग्रहित कविताएँ भले ही सीमित विषयों पर हों पर हर कविता समाज के किसी न किसी पहलू को उघाड़ने की ईमानदार चेष्टा करती है। शिक्षा की खोखली व्यवस्था हो या पानी जैसे जीवनदायी तत्व की उपेक्षा नारी पर होते अन्याय हों या लोकतंत्र की विडंबनाएं - हर रचना आपकी संवेदनाओं को झकझोरने का प्रयास है। कभी व्यंग्य के धारदार शस्त्र से तो कभी करुणा के भाव से ये कविताएँ न सिर्फ सामाजिक यथार्थ का दर्पण हैं बल्कि आत्ममंथन का निमंत्रण भी। मेरा उद्देश्य यही है - कि हम सोचें सवाल करें और बेहतर समाज की ओर कदम बढ़ाएँ।
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