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About The Book
Description
Author
यह पुस्तक भारत में यूरोपिय विज्ञान के आगमन एवं भारतीय लेखकों एवं संस्थाओं के विज्ञान के प्रति दृष्टिकोण पर प्रकाश डालती है। यूरोप में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की आशातीत उन्नति एवं अंग्रेजों की भारत विजय एवं साम्राज्य के सुदृढ़ीकरण में भी विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका के कारण अंग्रेज इसकी महत्ता को समझ चुके थे इसी कारण वे इसे भारत में आने देना नहीं चाहते थे। इसके विपरीत पाश्चात्य संस्कृति के संपर्क के साथ ही भारत का बुद्धिजीवी वर्ग विज्ञान की महत्ता समझ चुका था। 19वीं सदी से ही विज्ञान के उन्नायकों ने विज्ञान के महत्व को समझा आत्मसात किया और उसे जनता तक जनता की भाषा में संचारित करने का प्रयास किया। विदेशी शासन की विज्ञान के क्षेत्र में स्थापित रंगभेद नीति का विरोध करते हुए इस बात को बल प्रदान किया कि सब उन्नतियों का मूल विज्ञान है और भारत के लोगों को भी इसे अपनाने में कोई परहेज नहीं होना चाहिए।