2G Spectrum

About The Book

राजनीतिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए साम दाम दंड और भेद जैसी सभी नीतियों को उचित ठहराया जाता है किंतु ऐसी राजनीति देश और समाज के हित में की जाए तभी उचित है। आज के दौर में प्रायः राजनीति स्वार्थनीति का पर्याय बनकर उभरी है। यही कारण है कि कुछ स्वार्थी नेता राजनीति में आकर राजधर्म का पालन करने की बजाय अपने स्वार्थ सिद्ध करने में व्यस्त हो जाते हैं।प्रस्तुत पुस्तक ' 2 जी स्पेक्ट्रम' घोर स्वार्थलिप्सा का एक ताजा और प्रबल उदाहरण है। तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने 2 जी स्पेक्ट्रम के आवंटन में इतनी भारी अनियमितता की कि देश को लगभग 176000 हजार करोड़ रुपये का घाटा उठाने के लिए विवश होना पड़ा। इस प्रकार का घोटाला देश में पहली बार नहीं हुआ है। यहां घोटालों की लम्बी श्रृंखला है जो सुरसा के समान अपने मुख को लगातार फैलाए जा रही है और देश के सामान्य जन की खून-पसीने की कमाई को निगलने के लिए आतुर है।176000 हजार करोड़ जैसी भारी-भरकम राशि का घोटाला करने के लिए तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने किस प्रकार शातिराना अंदाज में योजनाबद्ध ढंग से काम किया। इस योजना में राजा ने किन-किन लोगों को अपना सहयोगी बनाया और कैसे उनसे चूक हुई कि वे अपने सहयोगियों सहित सीबीआई के फंदे में फंस गए? इस तरह के सभी सवालों का जवाब है यह पुस्तक - ' 2 जी स्पेक्ट्रम'। इस पुस्तक को सीबीआई की कार्यप्रणाली में सिद्धहस्त सीबीआई के पूर्व निदेशक जोगिन्दर सिंह ने बड़ी सूक्ष्म दृष्टि और गहन मंथन के बाद प्रस्तुत किया है।
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