यह मेरी पुस्तकाकार रूप में पहली रचना है। यह मेरे द्वारा मिस्ट्री वर्ल्ड में पहला और ठोस क़दम है जो आपके हुजूम में फीडबैक की तलबगार है। कहा जाता है कि उत्तम क़िस्म के जासूसी उपन्यासों का आज के जमाने में अकाल पड़ गया है जो भी नए चेहरे उभरकर सामने आ रहे हैं वो उत्कृष्ट क़िस्म की छाप जासूसी पाठकों के दिलों पर छोड़ने में सर्वथा असमर्थ सिद्ध हो रहे हैं। इस प्रकार की सभी बातों पर तुषारापात करती कुठाराघात करती मेरी ये रचना ‘3 दिन’ आपके हाथों में हैं। जो विकास गुप्ता सीरीज़ का आरंभ है। कैसी बन पड़ी है! आपकी राय मेरे लिए अहम होगी। दिमागी कसरत के लिए तैयार हो जाइए क्योंकि पहले पन्ने से शुरू हुए तो अंत में ही जाकर रुकेंगे। आपकी राय की प्रतीक्षा में।
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