30 ग़ज़लगो 300 ग़ज़लें


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About The Book

अपनी बात आपके हाथों में ये ग़ज़ल संग्रह रखने का बस एकमात्र मक़सद आपको अपने मूर्धन्य वरिष्ठ सम्मानित ग़ज़लकारों की ग़ज़लों से रूबरू करवाना है। वैसे तो आप इन्हें अनेकों बार अलग-अलग पत्र-पत्रिकाओं में अक्सर पढ़ते रहे हैं परन्तु एक जगह एक साथ इन्हें पढ़ने का आनंद ही अलग होगा यही सोचकर इन्हें एकजुट करने का मन बनाया। और फिर कुछ उभरते नौजवान ग़ज़लकारों को जो अपनी प्रतिभा के बलबूते बड़ी तेज़ी से ग़ज़ल की दुनिया में अपने को स्थापित कर चुके हैं उनको भी समेटने की इच्छा को रोक नहीं पाया। इस संग्रह के संयोजन से संपादन तक की यात्रा में मैं अति सजग रहा ताकि किसी भी वाद-विवाद में घसीटा न जाऊँ। ये ग़ज़लें गंगो-जमुनी तहज़ीब की ग़ज़लें हैं जो भारत की समरसता को दर्शाती हैं। अदब में रहकर अदब से रहने की कला सिखाती हैं। इस संग्रह में आप जहाँ सन् 1946 में जन्मे ग़ज़लकार से मिलेंगे तो वहीं सन् 1993 में जन्मे ग़ज़लकार की ग़ज़लों से भी आपकी मुलाक़ात होगी। इससे पूर्व बीस ग़ज़लगो : दो सौ ग़ज़लें के बाद मेरा ये दूसरा प्रयास है और मैंने ये भरसक प्रयास किया है कि ग़ज़लों की स्तरीयता बरक़रार रहे। यह संग्रह आपके हाथों में सौंपते हुए मुझे अति प्रसन्नता हो रही है कि मैंने अपने लक्ष्य को अंतिम मुक़ाम तक पहुँचा दिया है। मुझे इसके संपादन के सफ़र में किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है इसकी चर्चा करना मैं उचित नहीं समझता। प्रसन्नता इस बात की है कि लाख मुश्किलों के बावजूद आप तक संग्रह पहुँचाने में सफल हो चुका हूँ। संग्रह आपको कैसा लगा? आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में। आपका डॉ. कृष्ण कुमार प्रजापति प्रजापति भवन मेन रोड राउरकेला - 769001 सम्पर्क. 94370 44680 ई-मेल
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