51 Shresth Vyang Rachnayen Gajendra Tiwari: Gajendra Tiwari (51 श्रेष्ठ व्यंग ... तिवारी)

About The Book

सरल सहज और लचकदार भाषा के प्रयोगकर्ता गजेंद्र तिवारी वक्रोक्ति और वाग्वैदग्ध्य के माध्यम से व्यंग्य की धार को पैना करते हैं। व्यंग्य में हास्य की फुहार लाने के लिए वे उर्दू और अँग्रेजी शब्दों के साथ मुहावरे और लोकोक्तियों का भरपूर उपयोग करते हैं।<br>पेशे से एडवोकेट तिवारी जी ने अदालतों कार्यालय की व्यवस्था वहाँ के कर्मचारियों के तौर-तरीकों तथा पुलिस-विभाग की कार्यशैली को बहुत निकट से देखा है। इन क्षेत्रों के उनके अनुभव प्रायः धारदार व्यंग्य में ढल गए हैं। उनकी शैली इतनी जीवंत है कि अनेक बार यही लगता है कि हम साक्षात् उनके द्वारा वर्णित दृश्य के अंग बन गए हैं।<br>अलादीन की ख्वाहिश रंज लीडर को बहुत है जलने वाले जला करें तथा ला खर्चा निकाल उनके ऐसे व्यंग्य-संग्रह हैं जो पाठक को सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं।
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