हिंदी-व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षरों में जवाहर चौधरी का नाम अग्रिम पंक्ति में आता है । गंभीर और सोद्देश्य व्यंग्य-लेखन में शिल्प और कथ्य दोनों ही स्तरों पर उन्होंने अनेक प्रयोग किए हैं ।<br>‘उन्होंने व्यंग्य की शक्ति को भरपूर पहचाना है और इस अस्त्र का प्रयोग जीवन की विद्रूपताओं से लड़ने में किया है ।’ सामाजिक विसंगतियों सांस्कृतिक विडंबनाओं धार्मिक अंधविश्वासों और शैक्षिक राजनीति पर उन्होंने धारदार व्यंग्यों की सर्जना की है । विषय-चयन में सतर्कता भाषागत सहजता और चुटीली शैली उन्हें अन्य व्यंग्यकारों से अलग करती है । देशज भाषा के मुहावरों के प्रयोग में वे परम दक्ष हैं ।
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