अपने प्रशासकीय सेवाकाल में भी व्यंग्य की धार को निरंतर पैना करते रहने वाले व्यंग्यकार श्री महेश चन्द्र द्विवेदी उत्तर प्रदेश के पुलिस विभाग में सर्वोच्च पद पर रहे हैं और उन्होंने तंत्र तथा व्यवस्था की विडंबनाओं को बहुत निकट से देखा है।<br>द्विवेदी जी के व्यंग्य जहाँ व्यवस्था की वास्तविकता को उजागर करते हैं वहीं समाज के भीतर छिपी उन सच्चाइयों को भी उजागर कर जाते हैं जिन्हें हम प्रायः छिपाने में ही अपनी कुशलता समझते हैं।<br>द्विवेदी जी कहानीकार भी हैं और कवि भी। अतः उनके व्यंग्यों में इन विधाओं के गुण भी स्वतः प्रकट हो जाते हैं।<br>यहाँ प्रस्तुत है श्री महेश चन्द्र द्विवेदी के इक्यावन प्रखर व्यंग्य।
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