<p><strong>ग्रोइंग अप एंड अप एंड अप</strong> एक दिल छू लेने वाली कहानी है जो नन्हे पाठकों को जीवन के कई चरणों की सैर कराती है बचपन की हलचल और उत्साह से लेकर बुढ़ापे की शांति तक। सरल आकर्षक भाषा और मोहक चित्रों के माध्यम से यह पुस्तक बताती है कि हर उम्र अपनी अलग-अलग खुशियाँ अचरज और बदलाव लेकर आती है।</p><p>छोटे पाठक खेलना नई चीज़ें सीखना और अनगिनत कल्पनाएँ करना पहचानेंगे; बड़े बच्चे और वयस्क समझेंगे कि बड़ा होना और बूढ़ा होना एक सुंदर निरंतर चलने वाले चक्र के खास हिस्से हैं। जैसे-जैसे पात्र बचपन से युवावस्था और फिर अनुभव-समृद्ध वृद्धावस्था में पहुँचते हैं बच्चे समझते हैं कि हर पड़ाव जरूरी अर्थपूर्ण और प्यार से भरा है।</p><p>एक दादाजी/नानाजी के रूप में लेखक अपनी सीखी बातें बाँटते हैं हर साल के साथ आने वाली खुशियाँ और समझ। कामना है कि आने वाली पीढ़ियाँ भी जीवन में वही अर्थ और आनंद पाएँ हर पल सँजोएँ और बढ़ने-बूढ़ाने की इस सुहानी यात्रा को गले लगाएँ।</p>
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