इस किताब में आपको मेरे द्वारा लिखे गये कुछ एहसासों का वर्णन मिलेगा। जिन्हें कविता कहाँ जा सकता हैं। किताब का शीर्षक “बीच मझधार में...” हैं जो अवर्णित एहसासों की कशमकश का सूचक हैं। जैसे एक नाविक जब नाव लेकर निकलता हैं और जल धाराओं के गर्त और उत्थान में फँस जाता हैं। ऐसे समय में उसके मन में कई बाते चलती होंगी। कुछ यादे कुछ शंका कुछ उम्मीद के मिलजुले समय में वो पार लगने की उम्मीद करता भी हैं और बार बार खो भी देता हैं! ठीक वैसे ही जीवन में ऐसा समय आता हैं जब आप आगे बढ़ कर पार लगने की उम्मीद करते भी हैं और खो भी देते हैं। उन पलों में कुछ यादे.... कैसे आप यहाँ तक पहुचे और क्या क्या आप पर बीती... क्या आपने सीखा.... ये सब के साथ कुछ दुःख अपने आज के हालात पर... और कुछ पार लगने की शंका.... ये सब कुछ ही तो मन में चलता हैं। ये कविताओं का संग्रह ऐसे ही प्रेम दर्द उम्मीद शंका और यादो को समर्पित हैं।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.