<p>मैं इस किताब “आँखें बोलती हैं ” को पढ़ने वाले अपने प्रिय पाठकों का अभिनंदन करता हूँ | यूँ तो मेरे पास अपने बारे में कहने को कुछ खास नहीं हैं मगर मैंने अपनी यह पुस्तक लिख कर हिंदी साहित्य को एक छोटी सी भेंट देने का प्रयास किया है | मेरी इस पुस्तक में मेरी कलम ने वो सब लिखने का प्रयास किया जो इस संसार ने मुझे दिखाया और मेरे पुस्तक का शीर्षक मेरे इसी अनुभव पर ही आधारित है | मैं पंजाबी लेखक क्लब के एडवाइज़र के पद को भी सुशोभित करता हूँ | मैं काव्य के प्रति रूचि बहुत वर्ष से ही रखता आया हूँ हिंदी और पंजाबी दोनों भाषाओँ से मैं भली भांति परिचित हूँ| क्लब में मैं आम तौर पर कविता पाठ करता आया हूँ| क्लब से प्रशंसा मिलने के बाद मैंने यह किताब जो भिन्न भिन्न विषयों पर लिखी | सनातन संस्कृति से ओत प्रोत सबसे पहले “ प्रार्थना ” मंगल चरणा से ही आरम्भ किया है | हमारे क्लब में सभी द्वारा मेरी कविता “मालिक की रेल” को बहुत पसन्द किया जाता है |</p> <p>अगला अंक मेरा पंजाबी में आने वाला है | उसकी प्रतीक्षा करें …….</p>
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