अहंकार एक प्रकार का विकार ही नही है बल्कि यह अन्य समस्त प्रकार के विकारों के जन्म का मूल कारण और आधार भी है । विकार का अर्थ मानव के लिए पीड़ा और दुख का कारण बनने वाली चीज से है । मानव के द्वारा की जाने वाली समस्त प्रकार की बुराइयों के जन्म का मूल कारण अहंकार ही है । अहंकार से मुक्त होने के उपरांत ही मनुष्य अन्य प्रकार के विकारों से मुक्त होने की क्षमता रखता है। विकार युक्त मानव सुखद एवं शांतिपूर्ण जीवन जीने की क्षमता नहीं रखता है। इस धरती पर हर व्यक्ति के लिए सुखद और शांतिपूर्ण जीवन जीने का एक सामान अवसर और साधन दोनो किसी तरह के भेदभाव के बिना उपलब्ध है । मानव का सुखद एवं शांतिपूर्ण जीवन उसके द्वारा अनुसरण किए जाने वाले विचार एवं भाव तथा किए जाने वाले कर्म व्यवहार वाणीअभिव्यक्तिआचरण आदि पर निर्भर करता है।मानव अज्ञान के कारण अहंकार से ग्रसित जीवन एवं उससे संबंध रखने वाले कर्म को अपने लिए उचित मानता है। अज्ञान के कारण मानव अहंकार और इसके माध्यम से जन्म लेने वाली बुराइयों को अपने लिए उचित मानता है । मानव इस तरह के अज्ञान से मुक्त होकर इस धरती पर जीवन यापन करने की क्षमता रखता है। ऐसा ज्ञान एवं अनुभव हमारा अपना है ।इसी कारण से मैं अहंकार से संबंध रखने वाले अपने ज्ञान और अनुभव को इस पुस्तक के माध्यम से पाठकगण को साझा करने का प्रयास कर रहा हूं। ऐसा करते हुए हमे आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास भी है कि इस पुस्तक में लिखी बाते पठकगण का उचित मार्गदर्शन करने में सफल रहेगी। इस पुस्तक को प्रकाशित करने के लिए प्रकाशक एवं उनकी टीम का हार्दिक रूप से आभारी हूं।
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