अश्लेषा -एक टूटा तारा

About The Book

पुस्तक का एक दृश्य:- मैं बिंदी लगाऊंगी ! बस तुम मेरे माथे पर आई शिकनो की परवाह करना मौल नहीं लगा रही हूं अपने श्रंगार का तुम भी श्रंगार करो तुम्हें इस शर्त से तुम्हें बचा रही हूं अश्लेषा आगे लिखती है कि हम  बेबुनियादी कल्पनाएं कर लेते हैं जो बहुत ही सुंदर लगती है मगर हकीकत की धूप लगते ही यह कल्पनाएं पिघलने लगती है आज अश्लेषा का बेटा होमवर्क कर रहा है वह घ से घर बनाना सीख रहा है अश्लेषा को लग रहा है कि इस घ से घर बनाने में भी हमें कितनी मेहनत लगी थी कितने बड़े-बड़े सपने देखे थे हमने घ  से घर बनाने से लेकर घर बनाने तक सब कठिन है मगर यह कठिनता का सफर हमेशा आसमान की तरह हमारे साथ ही रहेगा आगे भी सब कठीन हीं रहेगा अश्लेषा अब अरुण के लिए उस घर में एक खुली किताब सी थी मगर अरुण के पास उस किताब के पन्ने खोलने का हक नहीं था। अश्लेषा चाहती तो अपनी जिंदगी दूसरे शहर में जाकर शुरू कर सकती थी मगर उसे पता था कि समाज की सोच कुछ इस तरह की है सिंगल मदर डबल रिस्पांसिबिलिटी और आधी इज्जत आखिर क्यों??? अब अश्लेषा सिर्फ लिखती ही रहती हैं बेमकसद बातें कुछ बड़े मकसदों से वह जब दिन में अकेली होती तो यही सोचती थी कि कैसे अरुण उसकी फोटो लेने की बातों पर चिड़ा करता था और कहता था कि तुम बार-बार इतने सारे फोटोस क्यों लेती हो तब अश्लेषा कहती थी हां! हम औरतें बहुत फोटो लेती हैं क्योंकि हम कहीं ना कहीं यह जानती हैं कि हम अंत में अकेली रह जाएंगे कभी पति के ऑफिस चले जाने पर कभी बच्चों के ज्यादा पढ लिखने के बाद विदेश चले जाने पर और एक सच जो हम और जानती हैं हमने देखा है मायके में ससुराल में मां और सास को अंत में अकेले रह जाते हुए क्योंकि ज्यादा जीने का सच भी साथ है कुछ और नहीं बस अकेले में वक्त  गुजारने का एक जुगाड़ होते हैं ये फोटो आज जैसे मैं फिर से अकेली हो गई हूं। हम आरंभ होते हैं अपने मकसद उस से जोड़ने लगते हैं मगर आरंभ का केवल एकमात्र मकसद है अंत हमने सदैव अपनी सहूलियत से विकल्पों को चुना मगर सही विकल्प हमेशा हमारी सहूलियत और वास्तविकता से कोसों दूर रहा है। मगर अश्लेषा को अब किसी तरह का कोई दुख नहीं वह सोचती है कि वह मोह मजबूरी नहीं मूर्खता है जिसे छोड़ने के हमारे पास हजारों कारण थे अश्लेषा को अब प्रेम नाम की कोई भाषा समझ नहीं आती उसे तो लगता है कि- अचानक ही घटित हो जाता है इस पर किसी का नियंत्रण नहीं प्रेम किसी घटना से कम खतरनाक नहीं क्योंकि यह भी सच है कि प्रेम सोच समझकर नहीं किया जाता है और यह भी सच है कि वही एक प्रेम कईओ के जीवन के लिए घटना भी साबित हो सकता है। अश्विनी मेहता रचना स्वरचित
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