हम सभी कहीं न कहीं पैशन और प्रोफेशन के बीच की दिमागी जंग लड़ते हैं। पार्ट टाइम पैशन और फुल टाइम प्रोफेशन एक फुल प्रूफ समाधान है। यह आपके मन और मस्तिष्क के बीच पुल का काम करता है। समाज और देश के लिए कोई सार्थक काम करना और उचित मंच मिलना बहुत ही जटिल काम है। हम में से कई लोग हैं जिनका यह पैशन(जूनून) है। अन्ना आंदोलन और इस आंदोलन से उत्पन्न आम आदमी पार्टी ने हमें इस पैशन बनाम प्रोफेशन की जंग में एक उचित मंच दिया और पार्ट टाइम पॉलिटिशियन बना दिया। पार्ट टाइम पॉलिटिक्स के नुक्सान हैं या फायदे ? क्या कोई भी पार्टी जिसका 90 प्रतिशत से ज्यादा वालंटियर पार्ट टाइम हो वह राजनीति में सफल हो सकती है ? लेखक एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में सीनियर सॉफ्टवेयर डेवलपर हैं| उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में जन्म हुआ इंजीनियरिंग की डिग्री 2011 में लेने के बाद ओरेकल कंपनी से अपने नौकरी की शुरुवात किया। इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन से अत्यंत प्रभवित हुए और सितम्बर 2011 में सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त हुआ तभी से सोशल एक्टिविज्म और फिर आम आदमी पार्टी के गठन के साथ ही पोलिटिकल एक्टिविज्म करना शुरू किया। सार्वजनिक राशन प्रणाली में काम किया और मुंबई में विभिन्न आंदोलनों को संकल्पित एवं संगठित किया| दिल्ली सरकार में शिक्षा विभाग के कई प्रोजेक्ट्स जैसे कि विद्यालय प्रबंधन समिति मिशन बुनियाद पेरेंट्स संवाद इत्यादि में अहम् भूमिका निभाई। 2021-22 में मैत्रेयी कॉलेज दिल्ली यूनिवर्सिटी के चेयरपर्सन के रूप में अपनी भूमिका निभाई। दिल्ली सरकार की शिक्षा टास्क फोर्स के सदस्य के रूप में काम किया और वर्तमान में दिल्ली की स्कूल मैनेजमेंट समिति का नेतृत्व करते हैं।
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