*“कहाँ मंजिलें कहाँ ठिकाना”* मेरी नज़र में अच्छी शायरी वो है जो अपने क़ारी के ज़ौक़ पर पूरी उतरे उसे ज़हनी सुकून और रूहानी मसर्रत अता करे। जो क़ारी को मायूस न करे बल्कि उसमें ज़िदगी से लड़ने का हौसला पैदा करे। मुझे ख़ुशी है कि देवमणिपांडेय की ग़ज़लों में ये औसाफ़ मौजूद हैं। —“शायर ज़फ़र गोरखपुरी” देवमणि पाण्डेय के यहाँ अपनी बात को बिना ग़ैर ज़रूरी उलझन पैदा किये पाठक के दिलो-दिमाग़ तक पहुँचा देने का सलीक़ा है। देवमणि पाण्डेय का यह संग्रह पढ़ते हुए आपको ये अंदाज़ा बख़ूबी हो सकेगा कि उर्दूके आसमान पर हिंदी के सितारे कितनी ख़ूबसूरती से टाँके जा सकते हैं और हिंदी के गुलशन में उर्दूके फूल कितने प्यार से खिलाए जा सकते हैं। —“शायर अब्दुल अहद साज़”.
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.