यह कहानी है मध्यम वर्गीय परिवार के एक मुसाफिर शिव की जो कन्धों पर उम्मीदों और सपनो को लेकर अपने गांव की कच्ची सड़को से दिल्ली के मुखर्जी नगर कलेक्टर बनने जाता है उसे मनोहर पायल और राहुल जैसे दोस्त भी मिलते है लेकिन काफी उतार चढ़ाव के बाद भी सफलता नहीं मिलती | ७ सालो के इस सफर में उसे प्यार भी होता है लेकिन वो भी अधूरा इस अधूरी सी कहानी में शिव अपने सफर को कैसा पूरा करता है ? और वो इंसान कौन था जिसने उसे सिखाया की विकल्प संकल्प को कमजोर बना देता है ? यह सब तो आपको कहानी पड़ने पर ही पता चलेगा उम्मीद करता हूँ शिव के जीवन से आपको काफी कुछ सीखने मिलेगा |
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