गिरिराज किशोर के उपन्यासों पर अब तक गंभीर चिंतन का अभाव रहा है। विश्वविद्यालय स्तर पर उनके उपन्यास साहित्य को प्रकाश में लाने की अत्यंत आवश्यकता है। उनके उपन्यास साहित्य में निहित नारी संबंधित प्रश्नों आंचलिक दृष्टि उनका सामाजिक सरोकार यथार्थ दृष्टिकोण और समस्या निरूपण व सामाजिक चेतना को प्रकाश में लाना शोध-प्रबंध का उद्देश्य है। यह शोध- प्रबंध निश्चय ही हिंदी में एक अभाव की पूर्ति करेगा इसलिए इसकी आवश्यकता एवं उपादेयता असंदिग्ध है।
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