<p><strong>प्रेम के सौ रंग - आधुनिक हिंदी लघुकविता</strong> लेखक आनन्द कुमार आशोधिया द्वारा रचित एक सौ लघुकविताओं का संग्रह है जो प्रेम को केवल भावनात्मक नहीं बल्कि सामाजिक आध्यात्मिक और मानवीय उत्तरदायित्व के रूप में प्रस्तुत करता है। यह संग्रह समकालीन हिंदी साहित्य में लघुकविता विधा की शक्ति और प्रासंगिकता को प्रमाणित करता है।</p><p>इस पुस्तक की भूमिका वरिष्ठ साहित्यकार अशोक कुमार जाखड़ 'निस्वार्थी' द्वारा लिखी गई है जो लेखक की रचनात्मक यात्रा और साहित्यिक परिपक्वता को दर्शाती है। वे बताते हैं कि यह संग्रह केवल सौ कविताएँ नहीं बल्कि समाज परिवेश और आत्मचिंतन की सौ बूँदें हैं - जो मौन में मुखरता और शब्दों में संवेदना का संचार करती हैं।</p><p>प्रस्तावना में प्रोफेसर रूप देवगुण ने इस संग्रह को हिंदी की लोकसंवेदना की आत्मा कहा है। वे बताते हैं कि आनन्द की कविताएँ प्रेम को केवल रोमांटिक भाव नहीं बल्कि सामाजिक चेतना मातृत्व बलिदान और आत्म-साधना के रूप में देखती हैं। लघुकविता की शैली में यह संग्रह पाठक और कवि के बीच एक त्वरित गहन संवाद स्थापित करता है।</p><p>डॉ. चन्द्रदत्त शर्मा की समीक्षा इस संग्रह को सौंदर्य और समाज का दस्तावेज़ कहती है। वे रेखांकित करते हैं कि कवि ने लघुता में विराटता को साधा है - दस पंक्तियों में एक विचार एक कहानी या एक भावनात्मक क्षण को पूर्णता से प्रस्तुत किया है। संग्रह में प्रयुक्त बिम्ब जैसे 'बलिदान की लौ' 'वर्दी में गर्व' और 'शांति का स्वर' सीधे हृदय को स्पर्श करते हैं।</p><p>यह पुस्तक उन पाठकों के लिए है जो प्रेम को केवल भावना नहीं बल्कि विचार संवेदना और उत्तरदायित्व के रूप में देखना चाहते हैं। <em>प्रेम के सौ रंग</em> एक ऐसा संग्रह है जो आधुनिक हिंदी कविता को नई दिशा देता है - जहाँ शब्दों की सादगी में भावों की गहरा
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