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About The Book
Description
Author
<p>लेखक बचपन में हर साल गर्मी की छुट्टियों में छठ पर्व में या किसी अन्य मौके पर गाँव जाया करते थे। नौकरी के व्यस्त जीवन ने उन्हें गाँव से दूर कर दिया। इस पुस्तक में लेखक अपने बचपन में गाँव में बिताए पलों को याद करते है। वे हसीन पल जो उन्होनें रिश्तेदारों दोस्तों और गाँववालों के साथ बिताए। वे प्रकृति प्रेमी भी हैं इस पुस्तक में कई जगह इसकी झलक मिलती है। वो पर्व-त्योहार खुल कर मनाते हुए नज़र आते हैं। उन्होनें अनेकों अनुभव का जिक्र किया है जो गाँव में ही मुमकिन हो सकता है। <br />लेखक ने इस बात का भी उल्लेख किया है कि आने वाले समय में क्यूँ लोग गाँव में ही रहना पसंद करेंगें और गाँव में क्या-क्या संभावनाएँ है? <br />यह पुस्तक लोगों का गाँव के प्रति जो नज़रिया है उसे एक नया दृष्टिकोण देगा साथ ही जो लोग अपने गाँव से कट चुके है उनलोगों को गाँव के साथ जुड़ने कि एक ठोस वजह साथ एक उम्मीद भी देगा।</p>