एक ख्यालों का संग्रहकुछ उछलते उफनते तरंगों का संकलन और कुछ अपनापन......... बस यही है इस पुस्तक का सार | हर इंसान के दिल में भावनाओं का समंदर हर वक्त हिचकोले खाता रहता है अनजान शायद खुद भी रहता है वह इन सब बातों से । भाग दौड़ वाली इस ज़िंदगी में शांत चित्त बैठ कर मन की भावनाओ को समझना उनका आनंद उठाना उन्मे डूब जानाशायद अब इतना समय नहीं मगर बिन भावनाओं के इंसान इंसान ही कहाँ रह जाता है इन भावनाओं का अपना एक संसार होता है और जो उसमे डुबकी लगा जाए वह फिर ज़िंदगी को अलग नजरिए अलग अंदाज से देखता है॥ बल्कि अलग अंदाज से जीता है॥...................... ज़िंदगी जीने की चाहत के साथ.
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