<p>इस किताब की रचना इश्क़ की कुछ बुनयादी मसाइल से प्रेरित हो कर की गयी है। इस किताब को लिखने से पहले मैंने सोचा कि इसमें ऐसी क्या ख़ास बात होनी चाहिये जो पढ़ने वाले के मन पर एक गहरी छाप छोड़ जाए। नई दुनिया के नए लहजे को मैं बखूबी समझती हूँ और मुझे उर्दू के लफ़्ज़ों की लज़्ज़त का अंदाज़ा भी है। ये वो सिलसिला है जो दो दिलों को जज़्बात-ए-हक़ के धागे में पिरोता है। इस किताब का हर्फ़ हर्फ़ मेरी और मेरे साथी शायर की ज़िन्दगी के उन एहसासात से जुड़ा है जो हमने इस जिस्म की कोठरी में गुज़ारी है। <br />इस किताब को लिखने का मक़सद महज़ इतना था कि जो बातें ज़ुबाँ पे आते आते रह गईं उन बातों को हर्फ़ हर्फ़ ढाल कर उर्दू के ज़ायके के साथ इस किताब 'सिलसिला' के जरिये आप तक पहुँचाना है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस किताब को पढ़ कर यूँ लगेगा कि ये आपके खुद की बयान-ए-जीस्त है। हम उम्मीद करते हैं कि ये सिलसिला आप सबको बेहद पसंद आएगा।</p>
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