<p>एहसास डॉ.रिज़वन कश्फी का दूसरा ग़ज़ल संग्रह है जो हिंदी में है। एहसास में कश्फी ने आपबीती को जग बीती बना दिया है। इसमें बहुत सी ग़ज़ले ऐसी हैं जो चौंका देती हैं और पढ़ते-पढ़ते पढ़ने वाला एक एक शेर पर सर धंता है। बहुत सी ग़ज़लें ऐसी भी है जो पढ़ने वाले को झिंझोड़ कर रख देती हैं। सही मायनों में यह कहना दुरुस्त होगा कि कश्फी शायरी को साहेरी बनाने का फन जानते हैं। डॉ रिज़वन कश्फी के कलाम में ग़म ए जाना के साथ ग़म ए दौरां का खूबसूरत संगम नज़र आता है। एहसास की ग़ज़लों में हमें आम आदमी का दुख दर्द तकलीफ छलकती हुई महसूस होती हैं। कहीं शायर अपने महबूब की बात करता है तो कहीं अपने घर में होने वाले घरेलू सियासत की और भाई भाई के बीच उठने वाली दिवार की। एहसास की एक एक गज़ल हमें एहसास करने पर मजबूर कर देती है और कहीं न कहीं हम अपने आपको महसूस करते हैं।<br /><br /> </p>
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