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About The Book
Description
Author
<p>व्यक्ति वह सामाजिक प्राणी है जिसे ईश्वर ने सोचने समझने और अपने विचारों को तार्किक आधार पर अभिव्यक्त करने की विशेष योग्यता प्रदान की है ।<br />यदि हमारे तर्कों में आधार दूसरे के विचारों के प्रति सम्मान सुनने का धैर्य और वैचारिक स्वीकृति का साहस हो तो फिर आपसी वाद-विवाद से अनेक समस्याओं का बेहतर समाधान तलाश किया जा सकता है ।<br />विद्यार्थियों में इसी तार्किक योग्यता का विस्तार करने के उद्देश्य से इस पुस्तक की परिकल्पना ने विस्तार लिया ।<br />निःसंदेह ये आरंभ है अंत नहीं ।<br />इन विचारों में सुझाव और विस्तार की असीम संभावनाएं मौजूद हैं । <br />अतः तर्क सहित वैचारिक आलोचना विषय को विस्तार ही प्रदान करेगी और यही इस लेखन का उद्देश्य है ।<br /><br />धन्यवाद सहित ।</p>