<p>यह किताब आम जन-मानस में पर्यावरण के प्रति चेतना जागृत करने एवं <br />पर्यावरण शिक्षा के मूल को समझाने के भाव से लिखी गई|<br />लेखकों द्वारा विश्व इतिहास में हुई प्रकृति के प्रति बर्बरता और उससे हुए <br />प्रदूषण तथा हरित अर्थव्यवस्था को नए सामाधान के रूप में दिखाया हैं<br />एवं विश्व और भारत के पर्यावरनीय कानूनों के चरणबद्ध विकास व उद्येश्य <br />को भी किताब में देखा जा सकता हैं |<br />लेखकों द्वारा उन घटनाओं का भी उल्लेखन किया हैं जिसने पर्यावरण को झिंझोड़ कर <br />रख दया और मानव के नीजी स्वार्थ को तो स्थान दिया और आल्पिक लाभ <br />भी दिए पर पर्यावरण को हुई लम्बी हानि को भी जन्म दिया |</p>
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