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About The Book
Description
Author
विजेता मिश्रा का जन्म पटना बिहार के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्हें किताबों से लगाव था। उनकी शिक्षा उनके जन्म स्थान पटना से ही हुई। इन्होंने अपनी पहली कविता ग्यारहवीं कक्षा में एक प्रतियोगिता के दौरान लिखी जिसका शीर्षक था मेरा सपना (my dream)। कुछ कविताएं निजी स्तर पर लिखने के बाद इन्होनें अपने काम की तरफ रुख मोड़ लिया। काफी साल बाद लिखते हुए लगता है जैसे कितना कुछ था जिसे इन्होनें पन्नों पर नहीं उकेरा। इनका मानना है कि किसी की भी रचना चाहे वह कविता हो या लेख उनके जीवन काल के अनुभव और भावनाओं से जुड़ी होती हैं। कोई तब तक अपने जज्बातों को शब्दों में नहीं पिरो सकता एवम पन्नों पर नहीं उकेर सकता जब तक उसने खुद वो चीज़ें महसूस ना की हो। फिर चाहे वो साहित्य हो कविता हो लेख हो अथवा कोई शायरी।कुछ भी लिखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है उसके भाव को समझना। उनकी इस पुस्तक में आपको जिंदगी से जुड़ी कितनी ही बातें मिलेंगी जो आपको इस भौतिकवादी संसार से रूबरू कराएंगी। प्रेम मित्रता सामाजिक प्रथा/कुप्रथा जिम्मेदारी जैसे अंश से आप रूबरू हो पाएंगे और खुद को इन कविताओं से जुड़ा हुआ पाएंगे।