बतखोर वह किताब है जो सिर्फ़ आपके लिए लिखी गयी है। गाँव की एक छोटी चौपाल से लेकर देश की संसद तक आपको जितने भी अफ़लातून नज़र आ रहे हैं लेखक ने उन सबको समेटकर एक किताब का रूप दे दिया है। इस संकलन में कुल बारह रचनाएँ हैं जिनमें व्यंग्य के साथ-साथ कुछ कहानियाँ भी शामिल हैं। किताब को पढ़ने के लिए किसी विशेष कौशल की ज़रूरत नहीं है। आप जहाँ हो जिस मूड में हों- व्यंग्य का मज़ा ले सकते हैं। आम आदमी इस संग्रह का केन्द्रबिन्दु है। एक आम आदमी सुबह उठता है दिनभर मुश्किलों से जूझता है यहाँ-वहाँ से दो-चार खुशियाँ चुरा लेता है और फिर सो जाता है। हम खुश रहना तो चाहते हैं मगर खुशियों के मौके हमें मिलते ही बहुत कम हैं। आपके होंठों से ओझल हो चुकी इसी मुस्कान को वापस लाना बतखोर मकसद है और इसे पढ़ने के बाद आप निराश तो कतई नहीं होंगे यह मेरा आपसे वादा है।
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