जीवन मृगमरीचिका
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मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन एक मृगमरीचिका पर आधारित होता है । जीवन आसान होता है इसे कठिन हमारी महत्वाकांक्षाएं बना देती हैं ये महत्वाकांक्षाएं एक विचित्र प्रकार की मृगमरीचिका जिसे हम अंग्रेजी में या वैज्ञानिक भाषा में मिराज कहते हैं नाम का भ्रम गढ़ती हैं । इस पुस्तक की सभी कविताएं एक प्रकार की मृगमरीचिका है मृत्यु से पहले और जन्म लेने के उपरांत हम बीच में जो भी स्वास लेते हैं और कईं प्रकार के स्वप्नों को देखते हैं उनको सत्य करते हैं जो पूर्ण स्वप्न न हो सके तो शोक करते हैं गिरते हैं लड़ते हैं संभाल कर स्वयं को उठते हैं दौड़ते हैं फिरसे किसी नई मृगमरीचिका को जीवंत करके उसके पीछे भागते हैं हर बार समीप आते आते जब वो छूट जाता है तो दिशाहीन बैठकर निराश होते हैं ।
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