यह किताब उन भावनाओं की पहली झलक है जिन्हें मैंने वर्षों तक महसूस किया समझा और आखिरकार काग़ज़ पर उतारा। इसमें कहीं प्रेम की मासूम खामोशी है तो कहीं खुद से सवाल करने की बेचैनी। ''शोर की लय में गुम'' मेरी आवाज़ है पर इसमें वो लय भी है जिसमें शायद आपकी भी कोई कहानी गूंजे। अगर कभी कोई एहसास अधूरा लगा हो तो हो सकता है वो यहाँ किसी कविता में पूरा हो जाए। पढ़ें महसूस करें — और अगर अच्छा लगे तो लुत्फ़ ज़रूर उठाएँ।
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