<p>प्राकृतिक चिकित्सा जिसे नातूरोपैथी भी कहा जाता है एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जो शरीर मन और आत्मा के संतुलन पर आधारित है। यह पद्धति हमें यह समझने का अवसर देती है कि शरीर की स्वाभाविक उपचार क्षमता को कैसे सक्रिय किया जा सकता है और इसे एक प्राकृतिक तरीके से स्वस्थ बनाने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं। आज के आधुनिक चिकित्सा युग में जब कृत्रिम दवाओं और चिकित्सा उपकरणों का अत्यधिक उपयोग बढ़ रहा है तब प्राकृतिक चिकित्सा एक वैकल्पिक और प्राचीन उपचार पद्धति के रूप में उभरकर सामने आई है। यह न केवल शारीरिक उपचार प्रदान करती है बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति भी प्रदान करती है जो समग्र स्वास्थ्य की ओर कदम बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।</p><p>प्राकृतिक चिकित्सा का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है जब हमारे पूर्वजों ने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखा। आयुर्वेद योग जल चिकित्सा सूर्य चिकित्सा और मिट्टी चिकित्सा जैसे कई ऐसे उपचार पद्धतियाँ हैं जो प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए व्यक्ति के स्वास्थ्य को बेहतर बनाती हैं। महात्मा गांधी ने भी प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाया था और इसे अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना था। उनका मानना था कि शरीर की स्व-चिकित्सा शक्तियों को प्रोत्साहित करने से स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा मिलता है।</p><p>इस पुस्तक का उद्देश्य प्राकृतिक चिकित्सा की विविध पद्धतियों को सरल और विस्तृत रूप में प्रस्तुत करना है। इसमें हम यह जानेंगे कि प्राकृतिक चिकित्सा के कौन-कौन से प्रकार हैं कैसे ये पद्धतियाँ शारीरिक मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं और इनका उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है। साथ ही हम यह भी चर्चा करेंगे कि कैसे भारत में और अन्य देशों में प
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