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<th style=text-align:left>डॉ. कृष्णगोपाल मिश्र द्वारा लिखी गई *भारतीय साहित्य में माँ* एक अत्यंत प्रेरणादायक और गहराई से शोधपूर्ण अध्ययन है जो भारतीय साहित्य में माँ की महत्ता और प्रतिबिम्ब को समझने में मदद करता है।</th>
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<td style=text-align:left>**माँ की उपस्थिति:** यह पुस्तक माँ के संबंध में भारतीय साहित्य में विभिन्न प्रकार की उपस्थिति का विश्लेषण करती है जैसे कि माँ के रूप में देवी नायिका और समाज में स्त्री के रूप में।</td>
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<td style=text-align:left>**भावनात्मक आद्यतन:** डॉ. मिश्र द्वारा प्रस्तुत की गई पुस्तक में भावनात्मक आद्यतन के माध्यम से उन्होंने भारतीय साहित्य में माँ के रूप में प्रतिबिम्बित होने वाली सभी भावनाओं का अध्ययन किया है।</td>
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<td style=text-align:left>**कला और साहित्य:** इस पुस्तक में माँ के रूप में कला और साहित्य की महत्वपूर्ण भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया गया है जिससे पाठकों को माँ के संबंध में गहरा और समृद्ध ज्ञान प्राप्त होता है।</td>
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<td style=text-align:left>**सामाजिक परिप्रेक्ष्य:** इस पुस्तक में डॉ. मिश्र ने माँ के सामाजिक परिप्रेक्ष्य से भी विचार किया है जो भारतीय समाज में माँ की महत्ता को और अधिक महत्वपूर्ण बनाता है।</td>
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<td style=text-align:left>**अद्वितीय अन्वेषण:** यह पुस्तक एक अद्वित
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