सरोकार प्रो. एस.एन चैहान के लेखों का पहला संग्रह है। दो कविता संग्रह पूर्व में प्रकाशित और प्रशंसित हो चुके हैं। मूलतः समाज विज्ञान के अध्येता रहे प्रों. चैहान निरंतर चिन्तन करने वाले व्यक्ति हैं। उनके चिन्तन के केन्द्र में एक ओर परिवार है तो दूसरी ओर राष्ट्र। वे न परिवार की उपेक्षा करते हैं न राष्ट्र की। उनके लेखों में मानवीय मूल्यों की स्थापना का यत्न है। इस पुस्तक में संकलित लेखों में वे बिना किसी आवरण के वर्ण व्यवस्था के तिलिस्म को तार-तार कर देते हैं। एक ईमानदार मनुष्य और सर्जक होने के दायित्व का निर्वाह करते हुए भारतीय समाज की विडम्बनाओं पर ऊंगली रखते हैं। यहाँ यह रेखांकित करना भी उचित होगा कि वे सिर्फ समस्याएं नहीं गिनाते बल्कि निदान भी सुझाते हैं। प्रो. चैहान के पास संवाद करती हुई पारदर्शी भाषा है जो कम लोगों के पास होती है। कहना होगा कि उनकी यह कृति सहृदय पाठकों को न सिर्फ आकृष्ट करेगी बल्कि उनके चित्त का विरेचन भी करेगी। सामाजिक सांस्कृतिक और राष्ट्रीय सरोकारों से परिपूर्ण इस जरूरी पुस्तक के लिए प्रो. चैहान बधाई के पात्र हैं।
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