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About The Book
Description
Author
एक ऐसे गीतकार के श्रेष्ठ गीतों का संकलन प्रकाशित हो रहा है जिन्होंने गीत रचना को पूरा जीवन दिया है जिन के गीत एक पूरे युग का प्रतिनिधित्व करते हैं। देश के शीर्षस्थ गीतकार बालस्वरूप राही उस दौर के गीतकार हैं जब गीतों का स्वर्णकाल था। निश्चय ही इस गीत संग्रह का प्रकाशन हिन्दी काव्य-जगत में एक अत्यन्त सुखद घटना है। राही जी के गीतों का पढ़ना अपने ही जीवन से साक्षात्कार करना है अपने भीतर के मनुष्य की पहचान करना है उसी जीवन को गहराई से समझना है जिसे समझने के लिए युगों-युगों से चिंतकों विचारकों दार्शनिकों ने अब तक प्रयास किए हैं राही जी के गीत पढ़ने के बाद कोई भी पाठक वही नहीं रह सकता जो वह गीत पढ़ने से पहले था। यह गीत-संग्रह ऐसा सदाबहार गीतों का अनमोल खजाना है जिसे पाठक बार-बार पढ़ने का मन करेगा। यह गीत-संग्रह कविता को गीतों की ओर लौटाएगा हिन्दी कविता को समृद्ध करेगा ऐसा विश्वास है। - लक्ष्मी शंकर वाजपेयी