सदाबहार गीतकार: कुँवर बेचैन

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सदाबहार गीतकार श्रंखला के वरिष्ठ गीतकार डॉ. कुंअर बेचैन के बारे में कुछ लिखना या कहना कल्पना से परे है। फिर भी उन पर कुछ कहा जाए या लिखा जाए अच्छा लगता है। उनसे मिलने पर एक नई ऊर्जा मिलती है सचमुच वे करोड़ों दिलों के प्रेरणा-स्रोत हैं। डॉ. कुंअर बेचैन गीतों के मंच पर एक स्थापित नाम है। आपने 9 साल की उम्र से लिखना शुरू किया और आज तक लिखते चले आ रहे हैं बिना किसी अल्प-विराम के। गीतों की दुनिया से ऐसे जुड़े कि 7 सुरों की सरगम बन गए। कण्ठ भी इतना मधुर कि सुनाने लगे तो बस सुनते रहिये। एक के बाद एक गीतों की सुरमई संध्या कब शुरू हुई और कब रात हो गई पता ही नहीं चले। विगत 4 दशकों से मैं उन्हें सुनता आ रहा हुँ। जिस उम्र पर आकर थकान शुरू हो जाती है किन्तु वे आज भी उसी लय और ताल से हाज़िर रहते हैं। वे अब तक कितनी दूरियां और कितना सफ़र तय कर चुके है हिसाब-किताब रखना मुश्किल है। हिसाब है तो इतना कि वे आज भी गा रहे है। और श्रोता उन्हें गुनगुना रहे हैं। वे आज युवा पीड़ी के मार्ग-दर्शक हैं। मैं उन्हें हस्ताक्षर मानता हूँ। मन से जितने सरल हैं बिल्कुल ओस की बूँद के समान और जब उस बूँद पर सूरज की पहली किरण पड़ती है तो इन्द्रधनुष के रंग खिल उठते हैं।...
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