अव्यवस्था के भंवर में भारत


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE

Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Fast Delivery
Fast Delivery
Sustainably Printed
Sustainably Printed
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.

About The Book

भारत की हमेशा बनी रहने वाली समस्याओं के निदान से उपचार तक का एक प्रयास पतन की ओर बढ़ती और लगातार होती दुर्गति - हमारी विशाल आबादी की दुर्दशा कोई छिपी हुई बात नहीं है। भारत की लगभग 116 करोड़ जनसंख्या अत्यधिक वंचित और खराब परिस्थितियों में रह रही है। हमारे देश का 40 प्रतिशत हिस्सा माओवाद नक्सलवाद आतंकवाद और राजद्रोही गतिविधियों से पीड़ित है। लगभग हर क्षेत्र के लोग असंतुष्ट व निराश हैं। प्रदर्शन व आंदोलन अब हमारे देश की नियमित आदत बन चुके हैं। हमारी विधायिका व कार्यपालिका की निरंतर विफलताएँ अब स्वीकार्य नहीं हैं। आज़ादी के हमारे संघर्ष के मूल उद्देश्यों को अब पूरा किया जाना चाहिए। मौजूदा पुस्तक केंद्र व राज्यों में जिम्मेदार व जवाबदेह शासनतंत्र के माध्यम से इसी लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास है जो विद्वान न्यायपालिका की मदद से स्थापित किया जा सकता है। ऐसी सरकारें मानव दुखों के प्रति संवेदनशील होंगी और संविधान के भाग III व IV के संदर्भ में दिए गए मूल उद्देश्यों को पूरा कर पाएंगी। महत्वपूर्ण चुनाव सुधार • मुफ्त खैरातें बांटना बंद करें • कमियां ढूंढना और आरोप लगाना बंद करें • राजनीति के अपराधीकरण पर रोक लगाएं • न्यायपालिका को तीसरी आँख बनना होगा चाहे कुछ भी हो हम अपने देश को अपनी आँखों के सामने पुराने ढर्रे पर चलते और अपनी विशाल जनसंख्या को दुःख व परेशानियाँ झेलते नहीं देख सकते! पुस्तक का भाग 3 इस तरह के शासनतंत्र की मदद से भारत को ताकतवर व समृद्ध राष्ट्र के रूप में बदलने के लिए दिशा-निर्देश व तरीके प्रस्तुत करता है। ऐसी आशा है कि भारत के लोग इन निष्कर्षों को समझ सकेंगे -क्योंकि ये ऐसी समस्याएँ है जिन्होंने देश और उनके ठोस समाधानों को जकड़ रखा है।
downArrow

Details