*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹216
₹249
13% OFF
Paperback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
____ मेरी कविता ___ जीवन पथ पर अागे बढ़ते आ जाती जब द्विविधा कोई अंतर से उठ आ अधरों पर साथ निभा जाती है कविता। गहरे तम में दुःख के जब कुछ नहीं समझ आता है अपने ही भावों से तपकर दीपक बन जाती है कविता। देश में संकट के आते जब खामोशी सी छा जाती है सम्प्रभुता का प्रतीक बन सम्मुख आ जाती है कविता। भुला दिया जाता है जब आजादी के बलिदानों को तिरंगे के नीचे आकर उन सब की याद कराती कविता। इक दूजे से दूर हुए जो अपनी कोई नासमझी से प्रेम के गीत सुनाकर उनकोएक करा जाती है कविता। दुःख के सागर में डूबे जोउबर नहीं पाये हैं अब तक जीवन का हर पाठ पढ़ाकर खुशियां दे जाती है कविता। बूढ़ों सी यह ज्ञानी है औ बच्चों सी चंचल है। कभी हंसाती कभी रुलाती जब अपने पर आ जाती कविता। हरदम बेटी सी हंसती है अपनी राय बहन सी देती। मां बन ममता व दादी बनसंस्कार सिखा जाती है कविता। देख किसी के दमन चक्र कोमौन नहीं रह पाती है वह दमितों को लेकर अपने संगसम्मुख आ जाती है कविता। साथ कलम के एक पाश बनरण में जा ललकार लगाती कभी देवता की भक्ति में पुष्प चढ़ा जाती है कविता।। Raghvendra B. Saral