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About The Book
Description
Author
ताल मृदंग - लय धुन और लहराते सुरों के बीच मैं कोई अनछुई सी जाती आवाज सुनता हूं। गहराता आसमान या खिलखिलाती धूप थिरकती अप्सरा या कोई जीव कुरूप। भोले मानस या गिरगिट से बदलते रूप मैं समय के साथ बदलती सोच देखता हूं। शहरी हवाओं में भरा जहर अमृत सी लगती गांव की नहर रईस के कोमल हाथ और मजदूर के फटे पांव। गले मिलने का सहुर और दिल ना मिलने का दर्द मैं इन हरकतों के पीछे छिपे राज देखता हूं। हर बात पर मेरी राय कुछ अलग होती है हर पहलू पर मेरी नजर कुछ और कहती है। क्यूंकि मैं सुनता देखता और बोलता हूं तब जब मेरे कलम की स्याही पन्ने के सहारे चलती है।