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About The Book
Description
Author
मुस्कुराती यादें सफर हैं यादों का जो न मेरी हैं न तेरी हैं ये हैं हम सबकी और हम सब के पास यादें बहुत सारी हैं।संजोकर रखी थी कोने में मैंने उसको सबके सामने पढ़ डाला है। जिस भी यादों पर हमने पर्दा डाला है। इसमें दर्द के घूँट भी हैं इसमें सब्र का सुकून भी है प्रकृति के संग में हर माँ का आँचल भी है। इन यादों के सफर में मैं अकेले न चली मेरे साथ हर बात जो शायद हैं अनकही।. नाम से पहचान हो यह काफी नहीं है। मेरा काम मुझे पहचान दिलाये इसलिए ये मेहनत की है।नाम तो है आरती मित्तल जो खिली बगिया में ३० मार्च १९८४ को।पहचान मिलने आयी द्वार पर प्रभु कृपा से धन्यवाद गुल्लीबाबा टीम का जो सपनो को सच करने में मेरा पूर्ण सहयोग दे रहे हैं। परिवार ने दिया है भरपूर ये मुझे सौभाग्य मिला है। मैंने ईश्वर को सहृदय धन्यवाद् है। जो पूरा हो रहा सपना ये मेरा सौभाग्य है।.