ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक विकास में स्वयं सहायता समूह की भूमिका (द्वितीय संस्करण)

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स्वयं सहायता समूह ग्रामीण महिलाओं के आर्थक उत्थान में भारत सरकार का एक अनोखा पहल है| इस क्षेत्र में स्वयं सहायता समूह की महत्वपूर्ण भूमिका है | यह पुस्तक “ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक विकास में स्वयं सहायता समूह की भूमिका” ग्रामीण महिलाओं पर स्वयं सहायता समूह के आर्थिक प्रभाव पर केन्द्रित है | यह पुस्तक पूर्णतः शोष पर आधारित है | प्राथमिक आंकड़ो एवं सोलोमन के छार वर्ग प्रायोगिक विधि का प्रयोग कर स्वयं सहायता समूह का महिलाओं पर आर्थिक प्रभाव का गहन अध्ययन किया गया है | इस पुस्तक में स्वयं सहायता समूह का इतिहास समूह का गठन विशेषताएं कार्य समस्याएँ एवं सुझाव पर विस्तृत चर्चा की गई है| इस पुस्तक में कुल आठ अध्याय हैं – परिचय साहित्य समीक्षा कार्यविधि स्वयं सहायता समूह का महिलाओं की जनांकिकीय संरचना रोजगार एवं उपभोग खर्च पर प्रभाव स्वयं सहायता समूह का महिलाओं के आय एवं बचत पर प्रभाव स्वयं सहायता समूह का महिलाओं के ऋण एवं रहन-सहन पर प्रभाव स्वयं सहायता समूह का महिलाओं के सम्पति पर प्रभाव तथा निष्कर्ष एवं सुझाव | यह पुस्तक ग्रामीण इलाकों पर शोधकार्य सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाओं का ग्रामीण समस्याओं के निति निर्धारण में एवं विशेषकर शिक्षकों के लिए उपयोगी होगा | यह पुस्तक का प्रथम संस्करण है | इसमें त्रुटियाँ हो तो सुझाव आमंत्रित हैं ताकि अगले संस्करण में सुधार किया जा सके |
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