*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹940
₹999
5% OFF
Paperback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
संधि (सम् + धि) शब्द का अर्थ है योग अथवा मेल । दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो परिवर्तन होता है उसे संधि कहते हैं । कई बार इस नये शब्द को अलग ही लिखा जाता है बिना जोड़े किंतु वर्तनी में कुछ परिवर्तन जरूर हो जाता है ।याद रहे की संस्कृत-हिंदी में जो बोला जाता है वही लिखा जाता है स्वाभाविक सरलता से बोलने को ही संधि कहते हैं ।1.4.109 परः सन्निकर्षः संहिता । अष्टाध्यायी में वर्णों की अत्यन्त समीपता को संहिता या संधि कहा गया है । संधि = उपसर्ग सम् + धा धातु ।विशेष रूप से इसका मतलब है दो निकटवर्ती वर्णजो एक ही शब्द के भीतर हों यापहले शब्द का अन्तिम अक्षर तथा दूसरे शब्द का आदि अक्षरउदाहरण (उदा०)संहिता = सम् + हिता । संधि के कारण मकार का अनुस्वार में परिवर्तन हुआ है शब्द के भीतर ।नमः ते = नमस्ते । संधि के कारण विसर्ग का सकार में परिवर्तन हुआ है तथा इन दो शब्दों को जोड़ कर नया शब्द बना है ।शव आसन = शवासन । योग में हम निश्चिंत लेटने को शवासन के नाम से जानते हैं यह दो शब्दों की संधि है ।इस पुस्तक में हर प्रकार की संस्कृत की संधियों को सरल हिंदी भाषा में दर्शाया गया है ।1. अच् सन्धि या स्वरसंधि2. हल् सन्धि या व्यंजनसंधि3. विसर्ग सन्धि4. अनुस्वार सन्धि5. विशिष्ट सन्धिहर संधि का पाणिनि की अष्टाध्यायी से सुत्र दिया है । माहेश्वर सूत्र से प्रत्याहारों का विवरण संधि को समझने की मूल बातें संधि लगाने का गणितीय क्रमश इन बातों से विद्यार्थियों के लीये अति प्रेरक व सुलभ पुस्तक तैयार की है ।