कलम बोलती है
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कविता को लेकर कविता के बारे में बहुत कुछ कहा सुना जा सकता है वैसे यह मानना पड़ेगा कि कविता जीवन है जिस तरह जीवन में सब कुछ सहना, भोगना, दिखना, दिखाना पड़ता है बस उसी प्रकार कविता भी है कविता के बारे में हमारे विद्वानों नें बहुत सी बातें कही हैं कविता क्या है? क्यों है? कैसे है? इस पर बहुत विमर्श हुआ है और आज भी हो रहा है लेकिन सबसे अधिक आचार्य रामचंद्र शुक्ल का कथन सार्थक लगता है, जो उन्होंने कविता के विषय में लिखा है आचार्य रामचंद्र शुक्ल कहते है " कविता से मनुष्य के भाव की रक्षा होती है सृष्टि के पदार्थ या व्यापार विशेष को कविता इस तरह व्यक्त करती है मानो वे पदार्थ या व्यापार विशेष नेत्रों के सामने नाचने लगते हैं वे मूर्तिमान दिखाई देने लगते हैं उनकी उत्तमता का विवेचन करने मे बुद्धि से काम लेने की जरुरत ही नही पड़ती कविता की प्रेरणा से मनोवेगों के प्रवाह जोर से बहने लगते हैं तात्पर्य यह है कि कविता मनोभावों को उत्तेजित करनें का एक उत्तम साधन है " आगे वे कविता के विषय मे बहुत विस्तार से बातें करते हैं वह कहते है कि "यदि क्रोध, करुणा, दया प्रेम आदि मनोभाव मनुष्य के अन्तःकरण से निकल जाए तो वह कुछ भी नहीं कर सकता कविता हमारे मनोभावों को उच्छवासित करके एक नया जीव डाल देती है हम सृष्टि के सौन्दर्य को देखकर मोहित होने लगते हैं कोई अनुचित या निष्ठुर कार्य हमे अग्राह्य होने लगता है हमें जान पड़ने लगता है कि हमारा जीवन कई गुना होकर समस्त संसार में व्याप्त हो गया है " इसी प्रकार कविता में कार्य की प्रवृत्ति पर लम्बी बात करते हैं और भी बहुत सी बातें कविता के विषय में उन्होंने बहुत गहराई और वैचारिक स्तर पर रखी हैं यहाँ उतना विश्लेषण करनें की जरूरत नही है बस थोड़ा मोटी मोटी बातों का उल्लेख कर दिया गया है बातें बहुत सी हैं, लेकिन और बातें फिर कभी तो यह साझा संकलन आपके समक्ष है डॉ. अरुण कुमार मिश्र का इस साझा संकलन को तैयार करने में विशेष सहयोग मिला है इसके अतिरिक्त रचना सक्सेना जी का भी आभार प्रकट करना जरुरी है क्योंकि बिना उनके सहयोग के इस साझा संकलन की परिकल्पना ही अधूरी रह जाती चश्मा लगाकर देखिए या फिर बिना चश्मे के कविता तो आखिर कविता ही लगेगी इस साझा संकलन में देश भर की 64 महिला रचनाकारों की कविताऐं संकलित हैं पढ़िये देखिये और समझिये कि इस संकलन में जीवन के विभिन्न पक्षों पर लिखी कविताऐं हैं, जो आपको द्वैलित भी करेंगीं और आपको गंभीर भी बनाऐगीं कहीं हसाऐगीं, गुदगुदाऐगीं और कहीं कटाक्ष भी करेगीं तो पढ़िये यह साझा संकलन और बताईये कि आपको यह साझा संकलन कैसा लगा?उमेश श्रीवास्तव
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