<p>अब योगी की आत्मा की अनंत यात्रा भाग २ पुस्तक का दूसरा भाग अंतर्मुखी होकर आत्मा के गहन आंतरिक परिदृश्य-उसकी ऊर्जा संरचना और परिवर्तनकारी यात्रा-का अन्वेषण करता है। प्राचीन शास्त्र घोषणा करते हैं कि संपूर्ण ब्रह्मांड मानव शरीर के भीतर निवास करता है जो ब्रह्मांडीय समग्रता का एक सूक्ष्म रूप है। अपनी हजार वर्षों की अनुभव यात्रा के माध्यम से योगी जी इस शाश्वत सत्य को उजागर करते हैं हमें प्राण की सूक्ष्म दुनिया चक्रों की दीप्तिमान संरचना और शरीर मन और आत्मा के परस्पर जुड़े स्तरों के माध्यम से मार्गदर्शन करते हैं। जैसे ब्रह्मांड में असीम रहस्य समाए हैं वैसे ही मानव आत्मा इसकी विशालता को दर्शाती है-दिव्य संभावनाओं का एक आंतरिक ब्रह्मांड। </p>
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