शारीरिक शिक्षा एवं खेल कूद के महत्व को हमारे पूर्वजों ऋषिओं, मुनियों विश्व के विभिन्न भागों के दार्शनिकों ने प्राचीन समय से ही पहचान लिया था। आज उसी सोच का परिवर्तित एवं परिवर्धित रूप हमारे देश एवं विश्व के अन्य भागों में शारीरिक शिक्षा से जुड़े नीति-नियन्ताओं को शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य शिक्षा के महत्व को सामान्य शिक्षा से जोड़ने पर मजबूर होकर अनिवार्य करना पड़ रहा है। (अन्तर्राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा और खेल चार्टर यूनेस्को-1978 और स्वास्थ्य) का अधिकार-अनुच्छेद 12-1966 मानवाधिकार, राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति के तहत शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य शिक्षा को प्राइमरी से लेकर स्नातक स्तर तक अनिवार्य कर दिया गया है और सरकार की मंशा है कि इसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में भी स्थान दिया जाय।
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