*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹299
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
मानवता का कर विनाश यहां सब मतलब से ही जीते हैं एक किसी के गलत हो जाने पर सबको कड़वा घूँट ही देते हैं हमारे समाज के दो पहिए हैं नर और नारी। यह सच है कि यहां नारी के साथ शुरुआती दौर से ही कुछ अलग व्यवहार और परंपरा है जिस के बोझ तले उसे हर पल दबाने की कोशिश की जाती है; पर अब उस दौर से लड़ने के लिए हमारा समाज बहुत आगे आ चुका है और साथ ही साथ यह भूलता जा रहा है कि हमारे समाज का एक पहिया नर भी है; उनकी भी भावनाएं हैं जो समाज की कुटनीतियों और एकतरफा झुकाव के कारण दबती जा रही है। एक आदमी के छिपे हुए जज्बात संग्रह में समाज की इसी असंतुलित विचारधारा पर प्रकाश डालने की कोशिश की गई है। शब्द चित्रिण करते हुए हमारे सह लेखकों और सह लेखिकाओं ने पुरुषों के दबते जज्बातों को उजागर करने की कोशिश की है। स्वभाव कुछ ऐसा बनाओ नरभक्षी को भी इंसान बनाओ...