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About The Book

प्र को मिलती है रचनाकार ने इसमें लगभग 60 रचनाओं को सम्मिलित किया है जिनको लिखते समय लय गति यतितुक आदि का ध्यान रखकर पदों को गेय बनाने का प्रयास किया है सभी रचनाएं लगभग छन्दबद्ध हैंसभी रचनाएँ तुकांत कही जा सकती हैं । सर्वप्रथम कवित्त छंद में मां शारदे की वंदना की गई है इसके बाद श्री रामचंद्र जी पर कुछ मनहरण छंद मिलते हैंजो बहुत ही सरस व सरल हैं तथा हिंदुत्व को जोड़े रखने के लिए प्रेरित करते हैं ।आगे नेताओं पर आधारित सवैया मिलते हैं जो उनके झूठे भाषण और प्रलोभनों की पोल खोलते नजर आते हैं। राजनीति शिक्षक नशा मुक्ति बागवान चुगल खोर मां मतलब की दुनिया भारत को नमन गुरु शिष्य मित्रता कोरोना का कहर मजदूर की व्यथा महंगाई नारी महिमा योग करें हिंदुस्तान किसान विद्यार्थी आदि ऐसे गंभीर एवं रोचक विषयों पर कलम चलाने का प्रयास कलमकार के द्वारा किया गया है। आशा है कि प्रस्तुत पुस्तक में किये गए नवीन प्रयोग पाठकों को बेहद पसंद आएंगे पाठक पुस्तक को पढ़कर अन्य समाहित (विशेष गीतों की श्रृंखला) रचनाओं से भी मुखातिब हो सकेंगे। कहीं-कहीं श्रृंगार हास्य एवं वीर रस के दर्शन सहज ही पाठकों को हो जाएंगे।इस पुस्तक का उद्देश्य किसी भी जाति धर्म वंश भेद को आघात पहुंचाना नहीं हैकहीं पर व्यंग्यात्मक शैली का प्रयोग करते हुए कुछ शब्द हास्य के पुट के रूप में सम्मिलित कर दिये गए हैं।जिसका किसी वर्ग विशेष से कोई संबंध नहीं है। इस काव्य संग्रह का मूल उद्देश्य केवल इतना है कि इस नए युग की नवीन धारा में लोगों को नए आचरण प्रस्तुत करते हुए बहते रहना है।आपसी बैर भाव को भुलाकर एकता के सूत्र में बाँधने का एक अटूट प्रयास है।तथा अन्य कविताओं के माध्यम से भी जन साधारण को बहुत कुछ कहने का भी प्रयास किया है जिसको पाठक पढ़ते ही स्वयं समझ जाएँगे।
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