Aadhunik Itihas Mein Vigyan


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE

Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Fast Delivery
Fast Delivery
Sustainably Printed
Sustainably Printed
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.

About The Book

भारत में आधुनिक विज्ञान का नक्शा बनाने में हिन्दुओं से ज़्यादा मुसलमानों और मुसलमानों से ज़्यादा भूमिका अंग्रेज़ों की रही। आज़ादी के पूर्व से ही भारत जात-पाँत और ऊँच-नीच के दलदल में फँसा हुआ है। आधुनिक भारतीय इतिहास पर भारत में जितनी पुस्तकें लिखी गईं उनमें से अधिकांश के लेखक हिन्दू रहे। उनके द्वारा अधिकांश पुस्तकें भारत के प्रमुख नेताओं के पक्ष में अंग्रेज़ों के विरोध में मुसलमानों के योगदान और वैज्ञानिक गतिविधियों को नज़रअन्दाज़ करते हुए लिखी गईं।आधुनिक काल के $करीब सभी भारतीय वैज्ञानिक इंग्लैंड से विज्ञान पढ़-लिख-जान कर आए। भारत के निवासियों को अंग्रेज़ों ने ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र अथवा छूत-अछूत अथवा हिन्दू-मुसलमान में कोई भेदभाव न कर सबको एक नाम भारतीय दिया। भारत का मानचित्र भी अंग्रेज़ों ने तैयार किया। अंग्रेज़ी शिक्षा प्रतियोगी परीक्षाएँ बैंक प्रयोगशाला रेलवे आदि सब अंग्रेज़ों की देन है। कलकत्ता में अंग्रेज़ों ने अपने कर्मचारियों को भारतीय भाषाओं से परिचित कराने के लिए $फोर्ट विलियम कॉलेज नमक विशेष विद्यालय की स्थापना की थी जहाँ भारतीय भाषाओं में अनेक पाठ्यपुस्तकों की रचना भी की गई। अठारहवीं सदी में महलों सड़कों पुलों आदि से युक्त अनेक नए नगर पैदा हुए। अठारहवीं सदी में भारत में विशेष रूप से बंगाल में यूरोपीय शैली के भवन भी बनने लगे थे। 1882 में टेलीफोन आया। 1914 में प्रथम ऑटोमेटिक टेली$फोन एक्सचेंज लगाया गया। अगस्त 1945 से लम्ब्रेटा स्कूटर बनना शुरू हुआ।प्रस्तुत पुस्तक में आधुनिक वैज्ञानिकों पर संक्षेप में प्रकाश डाला गया है। इन सभी वैज्ञानिकों को सर्वाधिक प्रोत्साहन एवं प्रेरणा इंग्लैंड से मिली। प्रथम अध्याय में आधुनिक भारतीय वैज्ञानिक उपलब्धियों की चर्चा की गई है। प्रथम और द्वितीय महायुद्ध के दौरान भारत में विज्ञान की एक विशेष धारा दिखाई देती है। आधुनिक तकनीक और सामाजिक विकास से भारत किन-किन रूपों में प्रभावित हुआ इसका विशद वर्णन दूसरे अध्याय में किया गया है। इसके अलावा द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान तकनीक एवं समाज’ द्वितीय महायुद्ध के उपरान्त’ विज्ञान एवं पेट्रोल’ प्लास्टिक और चलचित्र तकनीक’ आपदा प्रबन्धन’ और भारतीय विज्ञान एवं अंग्रेज़ों का योगदान आदि अध्यायों में आधुनिक भारत में विज्ञान के विभिन्न चरणों पर संक्षेप में प्रकाश डाला गया है।बैक कवर मैटर अठारहवीं शताब्दी में महलों सड़कों पुलों आदि से युक्त अनेक नये नगर पैदा हुए। इनका एक उदाहरण जयपुर था जिसका निर्माण राजा जयसिंह ने शुरू किया था। जयपुर का राजमहल अनेक भवनों का एक सम्पूर्ण समुच्चय था इनमें सबसे सुप्रसिद्ध हवामहल था। इस विशाल भवन में ऐसे अनेक आले और झरोखे थे जो उसे ठंडा बनाते तथा ऐसी वायु-धाराएँ पैदा करते थे जो भवन में मन्द-मन्द सरसराती बहती थीं। महल वेफ भीतरी भाग में बहुरंगी संगमरमर और पत्थर वेफ बेलबूटे वेफ काम की सजावट थी। महलों और किलों के बीच अंग्रेजी शैली में उद्यान बनाए गए थे जो शहरपनाह वेफ बाहर की पहाड़ी पृष्ठभूमि से पूरी तरह से मेल खाते थे। इस तरह का दूसरा नगर ग्वालियर राज्य की नयी राजधानी लश्कर था जिसकी स्थापना सन् 1812 में हुई थी। वहाँ निर्माण में परम्परागत तत्त्वों को सम्मिलित किया गया था उदाहरणार्थ भवन के आगे बरामदे छोटे पतले स्तम्भों पर बारीक काम वेफ मेहराबदार छज्जे सूक्ष्म पच्चीकारी से सज्जित आकर्षक झरोखेदार छज्जे। एक ख़ूबसूरत पुल लश्कर का एक दूसरा आकर्षण था। वाराणसी में गंगा वेफ तट वेफ अनेक मन्दिर महल और मठ तथा घाट भी अठारहवीं शताब्दी में बनाए गए थे। प्रारम्भिक उन्नीसवीं शताब्दी के कुछ भवन भी उल्लेखनीय हैं। इनमें अहमदाबाद में सफ़ेद संगमरमर का धर्मनाथ जैन मन्दिर (1844-1848) और बीकानेर वेफ एक धनी व्यापारी द्वारा निर्मित नक्काशी और प्रतिमाओं के अंलकरण से परिपूर्ण मुँडेरदार छतवाली एक चार मंजिला हवेली शामिल है।—इसी पुस्तक से|
downArrow

Details