आसू हैं मुस्कान और यूॅ ही हालाहल नहीं पिया मैने के बाद मेरी तीसरी कृति आदियोगी नीलकंठ है जो प्रकाशित हो रही है। यह कृति सर्वजन आराध्य भगवान आशुतोष (शिव)को समर्पित है। सभी सनातन धर्मावलम्बी अति भाग्यशाली हैं जिन्हें आशुतोष ((शीघ्र प्रसन्न होने वाले शिव) अपने आराध्य के रूप में मिले हैं। शिव का अर्थ है-कल्याण करने वाला। इस कृति में शिव से संबंधित जितने भी दृष्टांत (कथानक) हैंउन सभी में भगवान आशुतोष (शिव) की कल्याणमयी प्रतिकृति का बोध होता है। भगवान शिव ने जगत (सृष्टि) के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। यहाँ तक कि सृष्टि के कल्याण हेतु वह समुद्र मंथन से निकले हलाहल (विष) को अंगीकार करने से भी नहीं हिचकिचाते।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.